कारवां karvaan
जन मीडिया
रविवार, 11 नवंबर 2007
आदमजादों के अभयारण्य - कुमार मुकुल
शेर - चीतों के बाद
अब आदमी के भी
बनने लगे हैं अभयारण्य
शुभ्र धवल छंटी हुई दाढ़ी
और चश्मे के भीतर से चमकती
उस दरिंदे की आंखों को तो देखो
एक मिटती प्रजाति है यह
पर एक पूरा इलाका है
इसके हवाले
ओह कैसी गझिन रक्तश्लथ है
हंसी इसकी
इस रक्तपायी की जीभ तो
दिखती नहीं कभी।
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