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सोमवार, 23 जून 2008
अभी बहुत कुछ सीखना है मुझे - सपना चमड़िया
अभी बहुत कुछ
सीखना है मुझे
सबसे पहले कि
विदा देते हाथों में
कैसे रखा जाता है दिल।
कैसे उचक कर
देखा जाता है जानेवाले को।
जानेवाले की पीठ,
और आंखों को
कैसे जोड़ा जाता है
एक तार से दूर तक।
इस बार जब जाऊंगा गांव
ध्यान से सुनना होगा
विदा करते समय क्या
कहती है मां होंठों में-
हे ईश्वर जैसे ले जा रहे हो
लौटाना वैसे ही वापस मुझे।
इस बार दिल लगाकर
सीखना होगा दुवाओं का सबक
कि मां से कितना कम सीखा है मैंने
अभी तो तलाशनी है वो जगह घर में
जहां रखे जाते हैं बाथरूम में छूटे
गीले कपड़े
चाय का कप,भूल गई है जो वो
जल्दी में टेबिल पर
उठाते वक्त उसकी हड़बड़ाहट की मुद्रा पर
प्यार आना ही चाहिए मुझे
सफर बहुत लंबा है मेरा
कि सदियों से जाहिल हूं मैं
इतना भी नहीं किया
कि तेज आंधी-पानी में
फोन कर के पूछूं उससे
कहां हो तुम...
अभी तो यह बताना
शेष रह गया कि
वो सड़क क्रास करते समय
घबराये नहीं,डरे नहीं
गर देर हो आने में
आराम से तय करे रास्ते
कि नींद में डूबे हुए व्यक्ति का
सिर कैसे धीरे से सीधा किया जाता है।
और
लेटा जाता है कैसे बगल में
निश्श्ब्द,बेआवाज
अभी बहुत कुछ सीखना है मित्रों
कि सर्दी , गर्मी, बरसात
ठीक आठ बजे
मेरी पत्नी घर छोड देती हैा
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