दोनों नंगे ही पैदा होते हैं। तो क्या सच व झूठ आवरणों के नाम हैं।
पैदा होते हैं तो दोनों मर भी जाते हैं। मतलब सच-झूठ दोनों ही अमर नहीं हैं।
दोनों को जन्मते और मरते ईश्वर देखता है। तो क्या उसकी भूमिका दर्शक से ज्यादा है।
...... खलील जिब्रान को पढते हुए।
पैदा होते हैं तो दोनों मर भी जाते हैं। मतलब सच-झूठ दोनों ही अमर नहीं हैं।
दोनों को जन्मते और मरते ईश्वर देखता है। तो क्या उसकी भूमिका दर्शक से ज्यादा है।
...... खलील जिब्रान को पढते हुए।
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