गुरुवार, 18 अगस्त 2016

सच-झूठ-ईश्‍वर - लघुकथा

दोनों नंगे ही पैदा होते हैं। तो क्‍या सच व झूठ आवरणों के नाम हैं।
पैदा होते हैं तो दोनों मर भी जाते हैं। मतलब सच-झूठ दोनों ही अमर नहीं हैं।
दोनों को जन्‍मते और मरते ईश्‍वर देखता है। तो क्‍या उसकी भूमिका दर्शक से ज्‍यादा है।
  ...... खलील जिब्रान को पढते हुए।

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