शनिवार, 15 अप्रैल 2023

वेद-वेदांग कुछ नोट्स

वेदों पर मेरी किताब वेद-वेदांग कुछ नोट्स अब आ गई है ,

किताब के लिए what'sapp on 8586934944 पर संपर्क किया जा सकता है 

या फोनीम बुक्स को phonemepublishers@gmail.com मेल किया जा सकता है।



शुक्रवार, 31 मार्च 2023

मुक्तिबोधीय आलोचना की एक कड़ी – नवीन कुमार

 

' हिन्‍दुस्‍तान के 100 कवि' पुस्‍तक में स्वातंत्र्योत्तर भारत में मुक्तिबोध के बाद के 100 कवियों की कविताओं पर कवि-पत्रकार कुमार मुकुल के नोट्स हैं। मुकुल मुक्तिबोध को अपनी विरासत मानते हैं और यह पुस्तक उसी कड़ी में तमाम कवियों को पढ़कर उनके समय, समाज और सत्ता की समीक्षा करती है। मुकुल कोई अकादमिक या मेथोडिकल आलोचक नहीं, लेकिन उनका लेखन इसकी ताकीद करता है कि वो कविता-प्रेमी-पाठक और कविता के अर्थों, कवि के आशयों के निहितार्थ तक पहुंचने वाले सक्षम आलोचक हैं। उन्होंने शीर्षक में बता दिया है कि यह मात्र नोट्स हैं। उनकी विनम्रता ग्रहण करने वाली है। एक पाठक जो पिछले तीन दशकों से कविताओं पर नोट्स लेता 'रोज रोज बनती हुई दुनिया' के संवेदना-बोध की संक्षिप्त हिस्ट्री तैयार करता जाता है। स्वातंत्र्योत्तर भारत की हिंदी कविता का इतिहास अगर लिखना हो तो वो कैसे लिखा जाएगा, क्या मुकुल के नोट्स सामग्री के बतौर काम में आएंगे या मुकुल के कविताओं पर लिए स्टैंड प्रतिमान बनेंगे, ये किस कैनन के होंगे; यह सभी मेथोडिकल आलोचकों के विषय होंगे!

'ये कोई योजनाबद्ध ढंग से लिखी गई पुस्तक नहीं है। - -' 25 सालों में 20 नौकरियां कर चुकनेवाला आदमी कुछ भी योजनाबद्ध कैसे कर सकता है'। दरअसल मुकुल के कविता के होलटाइमर होने ने ही इसे संभव बनाया है ।

'पुस्तक में कुछ कवियों से प्रेरित, उन्हें संबोधित या उनसे प्रभावित कविताएं भी हैं।', ' नोट्स की तरह ये कविताएं भी कवि को समझने में कुछ सहायक होंगी'। अपनी टिप्‍पणी में पंकज चौधरी लिखते भी हैं - मैं इसलिए आपको (कुमार मुकुल को) अनौपचारिक आलोचना का लौहस्तंभ मानता हूं। यदि मुक्तिबोध के बाद का साहित्य का इतिहास लिखना हो तो यह पुस्तक कितनी जरूरी है यह समझा जा सकता है गो कि यह खुद ही नक्सलबाड़ी के बाद के हिंदी कवियों पर नोट्स का दस्तावेजीकरण भी है यह।

पुस्तक में तार सप्तक के छह कवि हैं, अकविता के एक, नक्सलबाड़ी प्रेरित 16, आठवां दशक अभियान के छह, एक दलित महिला, एक आदिवासी महिला और 17 महिला कवि सहित मैथिली, बांग्ला, मगही के भी कवि हैं। यूं 100 कवियों को मुकुल ने श्रेष्ठताक्रम में नहीं रखा या ऐसा भी नहीं कह सकते कि मात्र यही 100 कवि रहे हैं। किसी भी नये पाठक को हिंदुस्तान के कवि के नाम पर इस विज्ञापनी व सोशल मीडिया के उभार के दौर में  'अकवि-सुकवि' की भरमार में से जेन्युन कवियों की सूची प्राप्त करना असंभव होगा। यह पुस्तक एक साथ जेन्युन 100 कवियों से परिचित करा देती है और उसकी विरासत के साथ जोड़ देती है। लेखक को इस पुस्तक के लिए बधाई!



मार्मोसेट बंदर और सफ़ेद उकाब -नेहा

 


“मार्मोसेट बंदर और सफ़ेद उकाब” बाल कथा संग्रह का विवरण मैंने फेसबुक पर देखा | पढने की इच्छा हुई क्योंकि मुझे बाल कहानियां पसंद हैं| 
कुमार मुकुल द्वारा लिखी गई यह किताब पहले पन्ने से ही खींचती हैं, जब वो कहते हैं कि दुनिया के सारे बच्चे आओ ...आओ मेरी आँखों में बसो...। यह किताब दुनिया के तमाम बच्चों के लिए है। 
संग्रह की पहली कहानी है “गीदड़ की बहादुरी” | इसमें जानवरों के माध्यम से लेखक ने बहुत सुंदर तरीके से बताया है शेखी बघारने का क्या अंजाम होता है | जिसकी जैसी काबिलियत है उसे उसी दिशा में काम करना चाहिए | “मार्मोसेट बंदर और सफ़ेद उकाब” कहानी में बातों ही बातों में लेखक बच्चों का परिचय सूरदास से कराता है | सूरदास के दोहे को सही तरह से इस्तेमाल करने की वजह से बच्चे आसानी से संदर्भ समझ सकते हैं | इस कहानी की मूल बात ये है कि सभी लोगों की अपनी एक सीमा होती है ...जिसे उन्हें जानना चहिए। सीमा लांघना कष्टकर हो सकता है| 
“मिट्टू तोते का आत्मज्ञान” कहानी बच्चों को बताती है कि आसानी और आराम से मिली हुई चीजें हमें ज़िन्दगी में आगे नहीं बढ़ातीं, इसलिए मेहनत ही जीवन का मूल मंत्र है | "तीन मित्र" कहानी ने बड़े लाजवाब तरीके से बताया है कि हर एक व्यक्ति अपने आप में महत्वपूर्ण है | ज़िन्दगी अपनी पाठशाला में जो सिखाती है वो कभी – कभी स्कूल में पायी हुई शिक्षा से ज्यादा काम की साबित होती है | “कुहरे का भूत” कहानी में एक साइंटिस्ट किरदार है जिसके ज़रिये बच्चे समझ सकते हैं कि हमारे जीवन में विज्ञान कितना ज़रूरी है | कहानी में बड़े दिलचस्प तरीके से वास्पीकरण की प्रक्रिया को बताया गया है|
“ फैशन कथा” एक महत्वपूर्ण कहानी साबित होती है | यह बताती है कि किस तरह हम सब फैशन की अंधी दौड़ में शामिल हैं | अगर किसी के पास गियर वाली साइकिल है तो हमें भी चाहिए | वो हमारे लिए कितनी ज़रूरी है ये नही सोचते | कहानी में राहुल फैशन के चक्कर में बड़े हादसे को आमंत्रित कर लेता है | इस कहानी से बच्चे समझ सकते हैं कि गलत फैशन की दौड़ में वो गिर भी सकते हैं,चोट आ सकती है या कुछ नुकसान हो सकता है | 
किताब की भाषा सरल है | लेखक ने भाषा में एक निरंतरता, एक बहाव को बरकरार रखा है जिससे पाठक की रूचि बनी रहती है | बाल – कथाओं की ये किताब एक पोटली है जिसमें तरह -तरह की मज़ेदार और प्रेरक कहानियां बंधी हैं |